बगहा पश्चिमी चंपारण(बिहार) दिवाकर कुमार की रिपोर्ट IBN24x7 News
बेतिया:-पं.च सरकार के शिक्षकों द्वारा “खुले में शौच की निगरानी” सम्बंधी जारी फ़रमान के बाद राज्य के शिक्षकों व शिक्षक संघों ने कड़ी निंदा करते हुए उक्त फ़रमान का विरोध शुरू कर दिया है !
इसी संदर्भ में राज्य के TET STET उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ, बिहार (गोपगुट) के प्रदेश अध्यक्ष मार्कण्डेय पाठक ने संघ के जिला सोशल मीडिया प्रभारी के माध्यम से सरकार के इस आदेश को गैर उचित बताते हुए RTE का उलंघन बताया !
उनका कहना है कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में लगाना शिक्षा के अधिकार कानून/ अधिनियम का घोर उलंघन है !
सरकार को इसपर पुनर्विचार करना चाहिए ! सरकार शिक्षकों को विभिन्न गैर शैक्षणिक कार्य में लगा कर उनके मुख्य कार्य शिक्षण से दुर कर रही जिससे समाज में शिक्षा, शिक्षक एवं शिक्षण का स्तर निरंतर गिरता जा रहा है जो चिंताजनक है !
सरकार राष्ट्र निर्माताओं को उनके कार्य से विमुख करा कर उनके प्रतिष्ठा, मान सम्मान से खिलवाड़ कर रही है ! एक तो सरकार नियोजित शिक्षकों को ससमय सम्मानजन वेतन ना देकर मानसिक आर्थिक शोषण कर रही उपर से भारी असुरक्षा के बीच अपमानित कराने का यह फ़रमान जारी करना दुर्भाग्यपूर्ण है ! यदि इस आदेश के बाद ड्यूटी में लगे शिक्षकों के साथ कुछ अनहोनी होती है तो तत्काल उसकी जिम्मेवारी किसकी होगी ? कौन होगा जवाबदेह ?
सरकार यदि अविलम्ब इस आदेश को वापस नही लेती है तो शिक्षक विरोध के अन्य तरीके अपनाएंगे l
बेतिया:-पं.च सरकार के शिक्षकों द्वारा “खुले में शौच की निगरानी” सम्बंधी जारी फ़रमान के बाद राज्य के शिक्षकों व शिक्षक संघों ने कड़ी निंदा करते हुए उक्त फ़रमान का विरोध शुरू कर दिया है !
इसी संदर्भ में राज्य के TET STET उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ, बिहार (गोपगुट) के प्रदेश अध्यक्ष मार्कण्डेय पाठक ने संघ के जिला सोशल मीडिया प्रभारी के माध्यम से सरकार के इस आदेश को गैर उचित बताते हुए RTE का उलंघन बताया !
उनका कहना है कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में लगाना शिक्षा के अधिकार कानून/ अधिनियम का घोर उलंघन है !
सरकार को इसपर पुनर्विचार करना चाहिए ! सरकार शिक्षकों को विभिन्न गैर शैक्षणिक कार्य में लगा कर उनके मुख्य कार्य शिक्षण से दुर कर रही जिससे समाज में शिक्षा, शिक्षक एवं शिक्षण का स्तर निरंतर गिरता जा रहा है जो चिंताजनक है !
सरकार राष्ट्र निर्माताओं को उनके कार्य से विमुख करा कर उनके प्रतिष्ठा, मान सम्मान से खिलवाड़ कर रही है ! एक तो सरकार नियोजित शिक्षकों को ससमय सम्मानजन वेतन ना देकर मानसिक आर्थिक शोषण कर रही उपर से भारी असुरक्षा के बीच अपमानित कराने का यह फ़रमान जारी करना दुर्भाग्यपूर्ण है ! यदि इस आदेश के बाद ड्यूटी में लगे शिक्षकों के साथ कुछ अनहोनी होती है तो तत्काल उसकी जिम्मेवारी किसकी होगी ? कौन होगा जवाबदेह ?
सरकार यदि अविलम्ब इस आदेश को वापस नही लेती है तो शिक्षक विरोध के अन्य तरीके अपनाएंगे l
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