Ibn24x7news शिव विशाल पाण्डेय
इलाहाबाद : इलाहाबाद। तंबुओं की नगरी में माघ मास पर्यंत कल्पवास करने को आए लाखों कल्पवासी मेला प्रशासन की ओर से दी जाने वाली सुविधा पाने के क्रम में सबसे निचली पायदान पर हैं। तीर्थपुरोहितों के सानिध्य में रहकर माघ मास में कल्पवास करने वाले श्रद्धालुओं को बुनियादी सुविधाओं के लिए भटकना पड़ता है। तीर्थपुरोहितों का आरोप है कि मेला प्रशासन पिकनिक मनाने और कमाने वाली संस्थाओं को सुविधाएं दे रहा है। कल्पवास करने वाले 90 फीसदी श्रद्धालु तीर्थपुरोहितों के यहां रहते हैं।
प्रयागधर्म संघ के अध्यक्ष राजेद्र पालीवाल कहते हैं कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश भर में शौचालय बनाए जा रहे हैं। वहीं माघ मेला क्षेत्र में शौचालय पाने के लिए पैसा और जुगाड़ दोनों ही लगाना पड़ता है। तीर्थपुरोहितों के यहां ठहरने वाले कल्पवासियों के लिए शौचालय की सुविधा नहीं है। तीर्थपुरोहित अपने सामर्थ्य के अनुसार सुविधाएं जुटाते हैं। बाकी कल्पवासियों को अपने स्तर से व्यवस्था करनी पड़ती है। कहा, तीर्थपुरोहितों की संस्था प्रयागवाल सभा का उल्लेख मेला एक्ट में है। इसके बावजूद मेला क्षेत्र की सबसे उपेक्षित भूमि दी जाती है।
अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री मधु चकहा कहते हैं कि माघ मेला कल्पवासियों का है। कल्पवासी मास पर्यंत गंगा स्नान एवं पूजन की साध लेकर आते हैं। संगम स्नान के लिए उन्हें मीलों पैदल चलना पड़ता है। मेला प्रशासन उनके लिए कोई सुविधा मुहैया नहीं कराता है। जबकि भूमि के लिए तीर्थ पुरोहितों को मालगुजारी देनी पड़ती है।
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