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Tuesday, December 19, 2017

पश्चिमी चम्पारण - हाड़ कपा देने वाला ठंड ने लोगों को ठुठरने पर मजबूर कर दिया

IBN24×7News विजय कुमार शर्मा पश्चिमी चंपारण बिहार
                   
मेघे जाड़ न माघे जाड़ , कहे घाघ बतासे जाड़ यह उक्त पंकिति सर्द पछुआ हवा व शीत लहर न चरितार्थ कर दिया है। रक्त जमा देने वाला एंव हाड़ कपा देने वाला ठंड ने लोगों को ठुठरने पर मजबूर कर दिया है। ठंड इतनी की की सुबह की हौठ कांपते रहे और लोग बोलते समय हकलाने जैसे स्वर में बोलते दिखे।

 लोग बाग अलाव व गर्म चाय की चुस्की के सहारेशरीर पर गर्म कपड़ों का बझ लिए कपकपीऔर थरथराहट से बचने की नाकाम कोशिश और घर में दुबककर रहने को लाचार जिंदगी की गति पहिया को मानों ब्रेक सा लग गया है। अहले सुबह जहां कहीं अलाव देखा कि अलाव के इर्द गिर्द दर्जनों लोग इकठ्ठा होकर बदन को गर्म करते देखे गये।

आसमान के आंचल पर अटखेलिया करते बादलों के झुरमुठ के कारण सुर्य का दर्शन नहीं हुआ। पूस का दिन फूस बन कर पूरा दिन कहीं सुबह और शाम के बीच कहीं गुम हो गया। दिन इतना छोटा की पता ही नहीं चला और दिन खत्म हो गया। दिन ढलने के साथ ही ठंड के वही तेवर और आम जन जीवन बेहाल। मानव , पशु , पक्षी , सभी को सर्दी का अनुभव कई दिनों से प्रतीक हो रा है।

वहीं लोग घर के अंदर हीटर बोरसी में गोयठी डालकर बच्चें व महिलाएं ठंड से बचाव करते दिखे। इस ठंड से सबसे ज्यादा दिक्कते मक्का व गेंहू फसल में पानी पटवन करने वाले किसानों  को हो रहा है। बहरहाल ठंड के अचानक बढ़ जाने के वजह से चाय व गर्म कपड़ों की दुकानों पर भीड़ उमड़ने लगी है तो वहीं सड़कों पर सन्नाटा छाये रही।

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