रिपोर्ट दिवाकर कुमार प.च IBN24x7 News
बेतिया - प.च भले की बिहार में सुशासन एवं न्याय के साथ विकास का दावा किया जाता है लेकिन नियोजित शिक्षकों के मामले में ये कथन कोरा साबित होता नजर आ रहा है !माननीय उच्चतम न्यायालय के आलोक में उच्च न्यायालय के "समान काम समान वेतन" निर्णय आदेश को लागू पालन नही करके बिहार सरकार कौन सा न्याय के साथ विकास का दम्भ भरती है ?
नियोजित शिक्षक वेतन के आभाव में दयनीय स्थिति में शिक्षण एवं जीवनयापन करने को मजबूर है। शिक्षकों को 6 माह से वेतन नही देना ये कौन सा सुशासन है ?
सूबे के नियोजित शिक्षक सरकार व विभाग के मनमानी तथा उदासीन व सौतेले रवैए के कारण पिछले 06 माह से बिना वेतन के शिक्षण कार्य करने के साथ साथ पारिवारिक क्लेश, उधार का तगादा सहित शारीरिक, आर्थिक, एवं मानसिक रुप से प्रताड़ना झेलने को मजबूर हैं !
उक्त बातें TET STET उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ (गोपगुट) बिहार के प्रदेश अध्यक्ष मार्कण्डेय पाठक ने कहीं जिसकी आधिकारिक सूचना संघ के जिला सोशल मीडिया प्रभारी सुनिल कुमार राउत ने दी ! उन्होंने बताया सरकार विभिन्न मीडिया के माध्यम से वेतन देने की मसालेदार ब्रेकिंग न्यूज़ ख़बर बनवाती हैं ! हेडिंग में इतना करोड़ जारी, तोहफ़ा आदि दिग्भ्रमित स्लोगन लिखा जाता हैं जिसे पढ़कर जनता शिक्षकों के प्रति अजीब ख़याल बनाने लगती हैं लेकिन ख़बर के अंदर "खोदा पहाड़ निकाली चुहिया" वाली बात होती हैं जिस पर आम जन एवं प्रतिनिधि किसी का ध्यान नही जाता I
त्योहारों पर वेतन नही मिला ! ये शिक्षा मंत्री जी की बेबसी, लाचारी एवं विभाग की मनमानी ही दिखाता हैं !माननीय उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में बिहार सरकार को निर्णय से 90 दिन के अंदर समान काम समान वेतन लागू करने का निर्णय सुनाया है बावजूद इसके सरकार ने अपनी हठधर्मिता दिखाते हुए HC के निर्णय के विरुद्ध सुप्रीमकोर्ट जाने का निर्णय किया है तो दुसरी ओर सरकार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार एवं शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आर के महाजन जी स्पष्ट एवं सार्वजनिक रुप से उच्च न्यायालय का निर्णय नही मानने की स्थिति की बात मीडिया में जारी करते हैं जो माननीय न्यायालय का अवमानना ही है ! जबकि सरकार के पास बजट की कमी नही !
सृजन घोटाला, शौचालय घोटाला, छात्रवृत्ति घोटाला एवं अन्य तरीके से लूट के लिए, भोट के लिए चलाए जा रहे हैं विद्यालयों में लोकलुभावन कार्यक्रमों के लिए, माननीयों के भत्ते वेतन पेंशन आदि में बेतहाशा खर्च के लिए सरकार के पास पैसों की कोई कमी नहीं लेकिन शिक्षकों को वेतन देने के लिए बड़े-बड़े बहाने हैं जबकि शिक्षकों के वेतन के 60% हिस्सा केंद्र सरकार को देना है l उन्होंने कहा कि अगर सचमुच में पैसा का इतना ही अभाव है तो सरकार कानून लाकर जन सेवा के नाम पर जीत कर आए हुए माननीयों का वेतन भत्ते एवं अन्य सुविधाओं को बंद करें जिससे हम लोग भी प्रेरणा लेंगे अन्यथा सरकार पैसे की कमी का बहाना बनाना बंद करें
06-06 महीने से बकाया वेतन के लिए आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों के मामले में सरकार केन्द्र पर आरोप लगाती है कि पैसा नही दिया और केन्द्र की सरकार राज्य सरकार को पैसे देने एवं खर्च नही करने का प्रत्यारोप करती है ! सरकार के इस खेल में शिक्षक पीस रहें हैं जबकि केन्द्र एवं राज्य में अनुकूल सरकार है ! माननीय प्रधानमंत्री जी, मानवाधिकार आयोग एवं सम्बन्धित विभाग को इस मामले पर संज्ञान लेते हुए समाधान हेतू आवश्यक उचित कार्रवाई पहल करनी चाहिए !
TSUNSS बिहार गोपगुट पश्चिम चम्पारण जिलाध्यक्ष चंचल अविनाश, महासचिव राजेश कुमार राय, राज्य कार्यकारिणी सदस्य औरंगजेब रजा, सह-संयोजक अविनाश कुमार, सचिव त्रिभुवन पाण्डेय, उपाध्यक्ष उपेंद्र कुमार, महिला प्रकोष्ठ प्रभारी शुभ लक्ष्मी महाराज, सोशल मीडिया प्रभारी सुनिल कुमार राउत, प्रवक्ता शुभ नारायण सोनी एवं कोषाध्यक्ष प्रशांत प्रियदर्शी ने संघ नेतृत्व के कदम से कदम मिलाते हुए कहा कि सरकार के इस हठधर्मिता एवं असंवेदनशीलता के खिलाफ संघ ने चौतरफा मोर्चाबंदी का ऐलान कर दिया है !
27 नवंबर को आगामी बिहार विधानसभा सत्र के दौरान पटना में "चेतावनी रैली" का आयोजन कर सरकार को जवाब दिया जाएगा अगर सरकार तब भी नहीं मानती है तो सुबे के सभी नियोजित शिक्षक संगठन एकजुट होकर 01 फरवरी 2018 से हड़ताल करने के लिए बाध्य होंगे जिस की सारी जवाबदेही सरकार की होगी l
प्रेस मीडिया को इसकी सूचना संघ के जिला सोशल मीडिया प्रभारी सुनिल कुमार राउत ने दी !
बेतिया - प.च भले की बिहार में सुशासन एवं न्याय के साथ विकास का दावा किया जाता है लेकिन नियोजित शिक्षकों के मामले में ये कथन कोरा साबित होता नजर आ रहा है !माननीय उच्चतम न्यायालय के आलोक में उच्च न्यायालय के "समान काम समान वेतन" निर्णय आदेश को लागू पालन नही करके बिहार सरकार कौन सा न्याय के साथ विकास का दम्भ भरती है ?
नियोजित शिक्षक वेतन के आभाव में दयनीय स्थिति में शिक्षण एवं जीवनयापन करने को मजबूर है। शिक्षकों को 6 माह से वेतन नही देना ये कौन सा सुशासन है ?
सूबे के नियोजित शिक्षक सरकार व विभाग के मनमानी तथा उदासीन व सौतेले रवैए के कारण पिछले 06 माह से बिना वेतन के शिक्षण कार्य करने के साथ साथ पारिवारिक क्लेश, उधार का तगादा सहित शारीरिक, आर्थिक, एवं मानसिक रुप से प्रताड़ना झेलने को मजबूर हैं !
उक्त बातें TET STET उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ (गोपगुट) बिहार के प्रदेश अध्यक्ष मार्कण्डेय पाठक ने कहीं जिसकी आधिकारिक सूचना संघ के जिला सोशल मीडिया प्रभारी सुनिल कुमार राउत ने दी ! उन्होंने बताया सरकार विभिन्न मीडिया के माध्यम से वेतन देने की मसालेदार ब्रेकिंग न्यूज़ ख़बर बनवाती हैं ! हेडिंग में इतना करोड़ जारी, तोहफ़ा आदि दिग्भ्रमित स्लोगन लिखा जाता हैं जिसे पढ़कर जनता शिक्षकों के प्रति अजीब ख़याल बनाने लगती हैं लेकिन ख़बर के अंदर "खोदा पहाड़ निकाली चुहिया" वाली बात होती हैं जिस पर आम जन एवं प्रतिनिधि किसी का ध्यान नही जाता I
त्योहारों पर वेतन नही मिला ! ये शिक्षा मंत्री जी की बेबसी, लाचारी एवं विभाग की मनमानी ही दिखाता हैं !माननीय उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में बिहार सरकार को निर्णय से 90 दिन के अंदर समान काम समान वेतन लागू करने का निर्णय सुनाया है बावजूद इसके सरकार ने अपनी हठधर्मिता दिखाते हुए HC के निर्णय के विरुद्ध सुप्रीमकोर्ट जाने का निर्णय किया है तो दुसरी ओर सरकार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार एवं शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आर के महाजन जी स्पष्ट एवं सार्वजनिक रुप से उच्च न्यायालय का निर्णय नही मानने की स्थिति की बात मीडिया में जारी करते हैं जो माननीय न्यायालय का अवमानना ही है ! जबकि सरकार के पास बजट की कमी नही !
सृजन घोटाला, शौचालय घोटाला, छात्रवृत्ति घोटाला एवं अन्य तरीके से लूट के लिए, भोट के लिए चलाए जा रहे हैं विद्यालयों में लोकलुभावन कार्यक्रमों के लिए, माननीयों के भत्ते वेतन पेंशन आदि में बेतहाशा खर्च के लिए सरकार के पास पैसों की कोई कमी नहीं लेकिन शिक्षकों को वेतन देने के लिए बड़े-बड़े बहाने हैं जबकि शिक्षकों के वेतन के 60% हिस्सा केंद्र सरकार को देना है l उन्होंने कहा कि अगर सचमुच में पैसा का इतना ही अभाव है तो सरकार कानून लाकर जन सेवा के नाम पर जीत कर आए हुए माननीयों का वेतन भत्ते एवं अन्य सुविधाओं को बंद करें जिससे हम लोग भी प्रेरणा लेंगे अन्यथा सरकार पैसे की कमी का बहाना बनाना बंद करें
06-06 महीने से बकाया वेतन के लिए आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों के मामले में सरकार केन्द्र पर आरोप लगाती है कि पैसा नही दिया और केन्द्र की सरकार राज्य सरकार को पैसे देने एवं खर्च नही करने का प्रत्यारोप करती है ! सरकार के इस खेल में शिक्षक पीस रहें हैं जबकि केन्द्र एवं राज्य में अनुकूल सरकार है ! माननीय प्रधानमंत्री जी, मानवाधिकार आयोग एवं सम्बन्धित विभाग को इस मामले पर संज्ञान लेते हुए समाधान हेतू आवश्यक उचित कार्रवाई पहल करनी चाहिए !
TSUNSS बिहार गोपगुट पश्चिम चम्पारण जिलाध्यक्ष चंचल अविनाश, महासचिव राजेश कुमार राय, राज्य कार्यकारिणी सदस्य औरंगजेब रजा, सह-संयोजक अविनाश कुमार, सचिव त्रिभुवन पाण्डेय, उपाध्यक्ष उपेंद्र कुमार, महिला प्रकोष्ठ प्रभारी शुभ लक्ष्मी महाराज, सोशल मीडिया प्रभारी सुनिल कुमार राउत, प्रवक्ता शुभ नारायण सोनी एवं कोषाध्यक्ष प्रशांत प्रियदर्शी ने संघ नेतृत्व के कदम से कदम मिलाते हुए कहा कि सरकार के इस हठधर्मिता एवं असंवेदनशीलता के खिलाफ संघ ने चौतरफा मोर्चाबंदी का ऐलान कर दिया है !
27 नवंबर को आगामी बिहार विधानसभा सत्र के दौरान पटना में "चेतावनी रैली" का आयोजन कर सरकार को जवाब दिया जाएगा अगर सरकार तब भी नहीं मानती है तो सुबे के सभी नियोजित शिक्षक संगठन एकजुट होकर 01 फरवरी 2018 से हड़ताल करने के लिए बाध्य होंगे जिस की सारी जवाबदेही सरकार की होगी l
प्रेस मीडिया को इसकी सूचना संघ के जिला सोशल मीडिया प्रभारी सुनिल कुमार राउत ने दी !
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