Ibn24x7news अनूप मिश्रा ब्यूरो चीफ बहराइच
ठाकुर हुकुम सिंह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कैसरगंज से मात्र सौ मीटर की दूरी पर रामलीला मैदान के पास विकास खण्ड कैसरगंज प्रांगण के बगल दक्षिण, कक्षा पांच का डिग्रीधारक डॉक्टर रफीक प्रशासन को चुनौती देते हुए खुलेआम डॉक्टरी पेशा को अंजाम दे रहा है। यही नहीं पक्की दुकान में डिग्रीधारक डॉक्टर की तरह बेखौफ होकर मरीजों को देखता है तथा दवाई देता है और बाहर से दवा लिखता भी है तथा इंजेक्शन भी लगाता है। इस पूरे घटना क्रम को जानते हुए भी ठाकुर हुकुम सिंह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कैसरगंज के चिकित्सा अधिकारी अंजान बने हुए हैं। जबकि डॉक्टर रफीक झोलाछाप होते हुए भी प्रतिदिन लगभग ₹5000 की आय प्राप्त करता है, लगभग 1 लाख 50 हजार रुपया
मासिक आय प्राप्त करने वाला झोलाछाप डॉक्टर के ऊपर चिकित्सा अधिकारी कैसरगंज द्वारा अब तक किसी प्रकार की कार्रवाई क्यों नहीं की गई है। आखिर क्यों मेहरबान हैं चिकित्सा अधिकारी यह भी जांच का विषय है। क्योंकि कार्यवाही न करना इस बात को प्रमाणित करता है कि कहीं झोलाछाप डॉक्टर रफीक और चिकित्सा अधिकारी कैसरगंज के बीच कोई डील तो नहीं चल रही है। जब सरकार कड़े फैसले लेने में नहीं हिचक रही है तो फिर चिकित्सा अधिकारी कैसरगंज क्यों सो रहे हैं क्या चिकित्सा अधिकारी कैसरगंज की नींद तब खुलेगी जब कोई बड़ा हादसा हो जायेगा।
बताते चलें कि इनकम टैक्स के डर से झोलाछाप डॉक्टर रफीक रुपया बैंक अकाउंट में नहीं जमा करता है बल्कि सारा पैसा घर में छुपा कर रखता है। झोलाछाप डॉक्टर रफीक का यह गोरखधंधा कई वर्षों से चल रहा है चिकित्सा अधिकारी कैसरगंज से जब जन सूचना अधिकार के तहत सूचना मांगी गई तो चिकित्सा अधिकारी कैसरगंज ने जवाब में लिखकर दिया हमें पता नहीं है पता होने पर कार्यवाही की जायेगी।फिर भी झोलाछाप डॉक्टर के विरुद्ध अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। जबकि झोलाछाप डॉक्टर प्रशासन के नाक के नीचे सरेआम बेहिचक, बेपरवाह होकर अपनी अवैध डॉक्टरी की दुकान चला रहा है और कुर्सी पर बैठे बैठे अनपढ़ गरीबों का खून चूस कर अपनी तिजोरी भर रहा है। आखिर कौन है इस झोलाछाप डॉक्टर का संरक्षक यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा।
ठाकुर हुकुम सिंह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कैसरगंज से मात्र सौ मीटर की दूरी पर रामलीला मैदान के पास विकास खण्ड कैसरगंज प्रांगण के बगल दक्षिण, कक्षा पांच का डिग्रीधारक डॉक्टर रफीक प्रशासन को चुनौती देते हुए खुलेआम डॉक्टरी पेशा को अंजाम दे रहा है। यही नहीं पक्की दुकान में डिग्रीधारक डॉक्टर की तरह बेखौफ होकर मरीजों को देखता है तथा दवाई देता है और बाहर से दवा लिखता भी है तथा इंजेक्शन भी लगाता है। इस पूरे घटना क्रम को जानते हुए भी ठाकुर हुकुम सिंह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कैसरगंज के चिकित्सा अधिकारी अंजान बने हुए हैं। जबकि डॉक्टर रफीक झोलाछाप होते हुए भी प्रतिदिन लगभग ₹5000 की आय प्राप्त करता है, लगभग 1 लाख 50 हजार रुपया
मासिक आय प्राप्त करने वाला झोलाछाप डॉक्टर के ऊपर चिकित्सा अधिकारी कैसरगंज द्वारा अब तक किसी प्रकार की कार्रवाई क्यों नहीं की गई है। आखिर क्यों मेहरबान हैं चिकित्सा अधिकारी यह भी जांच का विषय है। क्योंकि कार्यवाही न करना इस बात को प्रमाणित करता है कि कहीं झोलाछाप डॉक्टर रफीक और चिकित्सा अधिकारी कैसरगंज के बीच कोई डील तो नहीं चल रही है। जब सरकार कड़े फैसले लेने में नहीं हिचक रही है तो फिर चिकित्सा अधिकारी कैसरगंज क्यों सो रहे हैं क्या चिकित्सा अधिकारी कैसरगंज की नींद तब खुलेगी जब कोई बड़ा हादसा हो जायेगा।
बताते चलें कि इनकम टैक्स के डर से झोलाछाप डॉक्टर रफीक रुपया बैंक अकाउंट में नहीं जमा करता है बल्कि सारा पैसा घर में छुपा कर रखता है। झोलाछाप डॉक्टर रफीक का यह गोरखधंधा कई वर्षों से चल रहा है चिकित्सा अधिकारी कैसरगंज से जब जन सूचना अधिकार के तहत सूचना मांगी गई तो चिकित्सा अधिकारी कैसरगंज ने जवाब में लिखकर दिया हमें पता नहीं है पता होने पर कार्यवाही की जायेगी।फिर भी झोलाछाप डॉक्टर के विरुद्ध अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। जबकि झोलाछाप डॉक्टर प्रशासन के नाक के नीचे सरेआम बेहिचक, बेपरवाह होकर अपनी अवैध डॉक्टरी की दुकान चला रहा है और कुर्सी पर बैठे बैठे अनपढ़ गरीबों का खून चूस कर अपनी तिजोरी भर रहा है। आखिर कौन है इस झोलाछाप डॉक्टर का संरक्षक यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा।
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