रिपोर्ट अग्रसेन विश्वकर्मा ibn24x7news देवरिया
आस्था, धर्म मजहब व सम्प्रदाय नही देखती अगर बिश्वास पत्थर मे हो जाय तो उसमे भी चमत्कार उत्पन्न हो जाता है ।जहां धर्म जाति सम्प्रदाय की एक लम्बी खाई समाज मे पनप रही है वही एक मुस्लिम समुदाय की महिला अपने आस्था के चलते 3 दशक से सूर्यषष्ठी(छठब्रत) करती है ।
बताते हैं कि मईल थाने के जिरासो गांव निवासी मैमून निशा पत्नी अनवर हूसेन शादी के पश्चात 8 बच्चों के मौत के बाद छठ मां से मन्नत मांगने और मन्नत पुरा होने के बाद 30 वर्षो से छठ ब्रत करती हैं ।
गुरुवार की सांम छठ घाट पर छठ पूजन के लिए पहुची मुस्लिम महिला मैमून निशा ने बताया कि छठ ब्रत करने की प्रेरणा मुझे अपने मायके मईल थाने के चकरा मठियां गांव से मिली ।उन्होंने बताया कि शादी के बाद मुझे 8 बच्चे हुए लेकिन दैवीय प्रकोप से सभी बच्चे मर गये । मै मायूस मन अपने मायके चकरा मठियां चली गयी । छठ का पर्व था ।घर के पडोस की रिश्ते मे काकी लगने वाली जानकी पत्नी महंथ गिरी छठ घाट जा रही थी काकी के साथ मै भी छठ घाट चली गयी । बच्चों के मरने के बाद उदास मन देख कर जानकी काकी ने हमारे लिए मन्नत मांगी कि अगर मुझे बच्चे हुए और जीवित रहे तो छठ ब्रत करुगी । बिधि का विधान अगले वर्ष मुझे पुत्र पैदा हुआ ।
पुत्र पैदा होने के बाद ससुराल मे छठ ब्रत करना शुरु करदी । छठ मां के आशिर्बाद से मेरा बेटा जान मुहम्मद पुलिस मे नौकरी करता है । छोटा बेटा फौज के लिए तैयारी करता है और तीसरे नम्बर की बेटी अफसाना अभी पढती है ।मैमून निशा ने बताया कि हमारे पूरे परिवार की आस्था छठ मां पर बनी रहती है । छठ पूजा के लिए मेरे बेटे जान मुहम्मद ने अलग से पैसे भेजे है। ईद बकरीद व सोबरात पर्व जैसे हमारे परिवार मे छठ का पर्व मनाया जाता है।
आस्था, धर्म मजहब व सम्प्रदाय नही देखती अगर बिश्वास पत्थर मे हो जाय तो उसमे भी चमत्कार उत्पन्न हो जाता है ।जहां धर्म जाति सम्प्रदाय की एक लम्बी खाई समाज मे पनप रही है वही एक मुस्लिम समुदाय की महिला अपने आस्था के चलते 3 दशक से सूर्यषष्ठी(छठब्रत) करती है ।
बताते हैं कि मईल थाने के जिरासो गांव निवासी मैमून निशा पत्नी अनवर हूसेन शादी के पश्चात 8 बच्चों के मौत के बाद छठ मां से मन्नत मांगने और मन्नत पुरा होने के बाद 30 वर्षो से छठ ब्रत करती हैं ।
गुरुवार की सांम छठ घाट पर छठ पूजन के लिए पहुची मुस्लिम महिला मैमून निशा ने बताया कि छठ ब्रत करने की प्रेरणा मुझे अपने मायके मईल थाने के चकरा मठियां गांव से मिली ।उन्होंने बताया कि शादी के बाद मुझे 8 बच्चे हुए लेकिन दैवीय प्रकोप से सभी बच्चे मर गये । मै मायूस मन अपने मायके चकरा मठियां चली गयी । छठ का पर्व था ।घर के पडोस की रिश्ते मे काकी लगने वाली जानकी पत्नी महंथ गिरी छठ घाट जा रही थी काकी के साथ मै भी छठ घाट चली गयी । बच्चों के मरने के बाद उदास मन देख कर जानकी काकी ने हमारे लिए मन्नत मांगी कि अगर मुझे बच्चे हुए और जीवित रहे तो छठ ब्रत करुगी । बिधि का विधान अगले वर्ष मुझे पुत्र पैदा हुआ ।
पुत्र पैदा होने के बाद ससुराल मे छठ ब्रत करना शुरु करदी । छठ मां के आशिर्बाद से मेरा बेटा जान मुहम्मद पुलिस मे नौकरी करता है । छोटा बेटा फौज के लिए तैयारी करता है और तीसरे नम्बर की बेटी अफसाना अभी पढती है ।मैमून निशा ने बताया कि हमारे पूरे परिवार की आस्था छठ मां पर बनी रहती है । छठ पूजा के लिए मेरे बेटे जान मुहम्मद ने अलग से पैसे भेजे है। ईद बकरीद व सोबरात पर्व जैसे हमारे परिवार मे छठ का पर्व मनाया जाता है।
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