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Friday, December 15, 2017

फैजाबाद - राम मंदिर निर्माण या जो कुछ भी कोर्ट या आपसी सहमति से तय होगा उसमे मुझे मजदूरी करने का अगर अवसर मिला तो मैं अपने आप को धन्य मानूंगा....... रुश्दी*

आस्था और मज़हब का प्रश्न आज अदालत की चौखट पर है जिससे सब लोग शर्मसार हैं ........रुश्दी*


संवाददाता-मो0 आलम शेख के साथ रियाज अंसारी की रिपोर्ट*



(फैजाबाद)-:सपा सरकार में दर्ज प्राप्त मंत्री रहे रुदौली पूर्व विधायक अब्बास अली जैदी "रुशदी मियां" का कहना है अगर अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनाने का निर्णय आया तो उसमें मुझे मजदूरी करने का अवसर मिला तो मैं अपना सौभाग्य मानूंगा।रुश्दी मियां के इस बयान के बाद प्रदेश की राजनीति में भूचाल आना तय माना जा रहा है।नगर निकाय चुनाव संपन्न होने के बाद शपथ समारोह के बाद रुश्दी की अगुवाई में उपस्थित नवनिर्वाचित नगर पालिका अध्यक्ष जब्बार अली सहित मुस्लिम समुदाय के लोगों ने  राष्ट्रगान गाकर भारत माता की जय के नारे लगा कर भारतीय जनता पार्टी के द्वारा लगाए गए आरोपों का माकूल जवाब दिया और कहा कि किसी पार्टी द्वारा  मुस्लिम समाज को  देश भक्ति का राष्ट्रभक्ति का  सर्टिफिकेट देने की जरूरत नहीं है।मुस्लिम समाज इस देश के लिए जिया है  इस देश के लिए मरेगा वही राजनीति से जुड़े कुछ लोग इस कृत्य  को महज नौटंकी करार दे रहे थे। जिसका जवाब देते हुए अब्बास अली जैदी "रुश्दी मियां" फिर पलटवार करते हुए  सबको चौंका दिया और कहा मर्यादा परुषोंत्तम श्री रामचंद्र जी के नाम से मंदिर निर्माण को लेकर शायद कई साल पहले जब इस मुद्दे का राजनीतिकरन शुरू हुआ था तब बोलने की आवश्यकता थी।श्री राम जी का अवतार किसी एक धर्म को सही राह दिखाने हेतु नहीं था बल्कि हर इंसान को आदर व अनादर, हिंसा व अहिंसा , सम्मान और अपमान , धर्म और अधर्म , मनुष्य और राक्षस के बीच का फ़र्क़ सीखाने हेतु हुआ था।देश और आस्था दोनो महत्वपूर्ण हैं परंतु यहाँ ना देश को देश रहने दिया जा रहा है ना आस्था को आस्था।मेरा हमेशा से मानना था और है की यदि अयोध्या जी के रहने वालों के हाथ शुरू में समाधान दिया गया होता तो दो मिनट में हो जाता लेकिन समाधान से लाभ था ही नहीं यही कारण है इसको उलझाया गया।आज आस्था का प्रश्न अदालत की चौखट पर पहुँच गया यह शर्मनाक बात है।मैं स्वयं के लिए इतना ही कहूँगा की श्री राम जी के मंदिर के निर्माण का निर्णय अदालत लेगी या आपसी समझौते से कुछ तय होगा।मेरी दिली इच्छा है की जो भी तय हो मुझे उसमें यदि मज़दूरी करने का अवसर  मिलेगा तो मैं स्वयं का सौभाग्य समझूँगा।

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