रिपोर्ट दयाशंकर पांडेय ibn24x7news
कुंडा/प्रतापगढ़ (ब्यूरों) – उम्र के जिस पड़ाव पर बच्चें स्कूल जाते हैं और अपनी हसरतों को पूरा करने के लिए अपने माँ- बाप से लड़ते हैं, उस उम्र में दो बहनें अपने पिता की संपत्ति बचाने के लिए कोर्ट कचहरी और थाना
का चक्कर लगा रही है। माँ बाप की मृत्यु हो जाने के बाद पिता के बड़े भाई ने अपने पिता से सारी संपत्ति अपने पत्नी के नाम झांसे से करवा ली। अब अपने हक़ के लिए दोनों बहनें लड़ाई लड़ रही है। मामले में पंचायत भी हुई लेकिन कोई नतीजा नही निकला।
महेशगंज थाना क्षेत्र के महेशगंज बाजार में रानी ( 20 वर्ष) पुत्री स्व, रामचंद्र वैश्य अपनी छोटी बहन सुमन (16 वर्ष,) के साथ रहती है। बचपन में ही मां की मृत्यु हो जाने से दोनों बहनों के ऊपर से मां की ममता का साया नही पड़ा। मां के प्यार से महरूम दोनों बहनें अपने पिता के साथ अपनी जिंदगी गुजार रही थी लेकिन अभी भी किस्मत उनके साथ क्रूर मजाक करने को बैठी थी।
दिसम्बर 2016 में बाजार से वापस आते समय बाइक से उनके पिता को किसी वाहन ने टक्कर मार दी, जिससे रामचंद्र की भी मौत हो गई। तब तो मानो दोनों बहनों के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। समय के क्रूर काल पंजो ने दोनों बहनों के ऊपर से मां- बाप का साया छीन लिया।
इतना सब कुछ होने के बाद भी दोनों बहनों ने हिम्मत नही हारी और अपनी जिंदगी को जीने लगी लेकिन तभी रामचंद्र के बड़े भाई हरिश्चंद्र ने अपने पिता मेवालाल को दवा कराने के बहाने कचहरी ले जाकर पूरी जमींन अपनी पत्नी के नाम बैनामा करा ली। इस बात की जानकारी जब रानी को पता चली तो वह परेशान हो गई।
जिन लोंगो के भरोसे वह जी रही थी वही अब उसके साथ धोखा कर रहें थें, रिश्ता के नाम पर भी उसके न कोई भाई था और न कोई बुआ- फूफा और न मामा- मामी। जो उसकी मदद कर सके। आर्थिक और मानसिक रूप से टूट चुकी रानी फिर भी हिम्मत नही हारी और जमींन को बचाने के लिए उसने मुकदमा लड़ना शुरू कर दिया।
जिम्मेदारियों के बीच उसने बीए करने के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ दी लेकिन सिलाई करके वह अपनी छोटी बहन को पढ़ा रही है। अपने पिता की जमींन के लिए वह अपने बड़े पापा हरिश्चन्द्र से गिड़गिड़ाई लेकिन उसके ऊपर कोई असर नही हुआ। उसने हरिश्चन्द्र की धूर्तता की शिकायत डीएम से लेकर एसपी तक से की तब पुलिस ने उसको एक तिहाई खेत में हिस्सा दिलवा दिया।
लेकिन पुलिस के लाख समझाने के बाद भी हरिश्चन्द्र बैनामा निरस्त कराने को राजी नही हुआ। थकहार रानी ने पूरे मामले की शिकायत पूर्व कैबिनेट मंत्री राजा भैया से की। उनके आदेश पर पूर्व ब्लाक प्रमुख पंकज सिंह की अगुवाई में पंचायत हुई जिसमें हरिश्चंद्र ने बैनामा निरस्त कराकर आधा हिस्सा देने की बात कबूल की, लेकिन अब वो फिर मुकर गया।
देखना होंगा कि अपनों की सताई और समय के क्रूरता की शिकार इन दोनों बहनों को कब न्याय मिलता है|
कुंडा/प्रतापगढ़ (ब्यूरों) – उम्र के जिस पड़ाव पर बच्चें स्कूल जाते हैं और अपनी हसरतों को पूरा करने के लिए अपने माँ- बाप से लड़ते हैं, उस उम्र में दो बहनें अपने पिता की संपत्ति बचाने के लिए कोर्ट कचहरी और थाना
का चक्कर लगा रही है। माँ बाप की मृत्यु हो जाने के बाद पिता के बड़े भाई ने अपने पिता से सारी संपत्ति अपने पत्नी के नाम झांसे से करवा ली। अब अपने हक़ के लिए दोनों बहनें लड़ाई लड़ रही है। मामले में पंचायत भी हुई लेकिन कोई नतीजा नही निकला।
महेशगंज थाना क्षेत्र के महेशगंज बाजार में रानी ( 20 वर्ष) पुत्री स्व, रामचंद्र वैश्य अपनी छोटी बहन सुमन (16 वर्ष,) के साथ रहती है। बचपन में ही मां की मृत्यु हो जाने से दोनों बहनों के ऊपर से मां की ममता का साया नही पड़ा। मां के प्यार से महरूम दोनों बहनें अपने पिता के साथ अपनी जिंदगी गुजार रही थी लेकिन अभी भी किस्मत उनके साथ क्रूर मजाक करने को बैठी थी।
दिसम्बर 2016 में बाजार से वापस आते समय बाइक से उनके पिता को किसी वाहन ने टक्कर मार दी, जिससे रामचंद्र की भी मौत हो गई। तब तो मानो दोनों बहनों के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। समय के क्रूर काल पंजो ने दोनों बहनों के ऊपर से मां- बाप का साया छीन लिया।
इतना सब कुछ होने के बाद भी दोनों बहनों ने हिम्मत नही हारी और अपनी जिंदगी को जीने लगी लेकिन तभी रामचंद्र के बड़े भाई हरिश्चंद्र ने अपने पिता मेवालाल को दवा कराने के बहाने कचहरी ले जाकर पूरी जमींन अपनी पत्नी के नाम बैनामा करा ली। इस बात की जानकारी जब रानी को पता चली तो वह परेशान हो गई।
जिन लोंगो के भरोसे वह जी रही थी वही अब उसके साथ धोखा कर रहें थें, रिश्ता के नाम पर भी उसके न कोई भाई था और न कोई बुआ- फूफा और न मामा- मामी। जो उसकी मदद कर सके। आर्थिक और मानसिक रूप से टूट चुकी रानी फिर भी हिम्मत नही हारी और जमींन को बचाने के लिए उसने मुकदमा लड़ना शुरू कर दिया।
जिम्मेदारियों के बीच उसने बीए करने के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ दी लेकिन सिलाई करके वह अपनी छोटी बहन को पढ़ा रही है। अपने पिता की जमींन के लिए वह अपने बड़े पापा हरिश्चन्द्र से गिड़गिड़ाई लेकिन उसके ऊपर कोई असर नही हुआ। उसने हरिश्चन्द्र की धूर्तता की शिकायत डीएम से लेकर एसपी तक से की तब पुलिस ने उसको एक तिहाई खेत में हिस्सा दिलवा दिया।
लेकिन पुलिस के लाख समझाने के बाद भी हरिश्चन्द्र बैनामा निरस्त कराने को राजी नही हुआ। थकहार रानी ने पूरे मामले की शिकायत पूर्व कैबिनेट मंत्री राजा भैया से की। उनके आदेश पर पूर्व ब्लाक प्रमुख पंकज सिंह की अगुवाई में पंचायत हुई जिसमें हरिश्चंद्र ने बैनामा निरस्त कराकर आधा हिस्सा देने की बात कबूल की, लेकिन अब वो फिर मुकर गया।
देखना होंगा कि अपनों की सताई और समय के क्रूरता की शिकार इन दोनों बहनों को कब न्याय मिलता है|
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