रिपोर्ट ललन कुमार निराला बिहार IBN24x7 News
निर्मली (सुपौल) - बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर सोमवार को अनुमंडल क्षेत्र में शिक्षक एकदिवसीय सांकेतिक हड़ताल पर रहे। इस दौरान शिक्षकों ने काला बिल्ला लगाकर विद्यालयीय कार्य करते हुए अपना विरोध प्रदर्शन किया।
इस दौरान प्राथमिक शिक्षक संघ मरौना के अंचल सचिव जगदीश यादव ने कहा कि 26 अक्टूबर 2016 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने समान काम समान वेतनमान का न्यायादेश सरकार को दिया परन्तु सरकार हतप्रभ व गूंगी हो गई। जिसके बाद गत 31 अक्टूबर 2017 को माननीय उच्च न्यायालय पटना ने ऐतिहासिक न्यायादेश देकर बिहार सरकार को स्पष्ट निदेश दिया कि नियमित शिक्षकों के समान नियोजित शिक्षकों को भी वेतनमान एवं सेवाशर्त दें परन्तु बिहार के शिक्षा मंत्री ने बयान दिया कि सरकार उच्चतम न्यायालय में अपील करेगी। कहा कि आज हम सभी शिक्षक काला बिलला लगाकर सांकेतिक हड़ताल पर हैं।
अगर इसके बाद भी सरकार द्वारा सार्थक पहल नहीं की गई तो हमलोग बेमियादी हड़ताल व जेल भरो आंदोलन से भी बाज नहीं आयेंगे। निर्मली नगर स्थित कन्या मध्य विद्यालय परिसर में एकत्रित होकर शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री द्वारा समान काम समान वेतन के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने के बयान की कड़ी निंदा की और विरोध में प्रदर्शन किया।
मौके पर उपस्थित शिक्षक संघ के अनुमंडलीय अध्यक्ष रामकृष्ण ठाकुर ने कहा कि गत 31 अक्टूबर 2017 को माननीय उच्च न्यायालय पटना ने ऐतिहासिक न्यायादेश देकर बिहार सरकार को स्पष्ट निदेश दिया कि नियमित शिक्षकों के समान नियोजित शिक्षकों को भी वेतनमान एवं सेवाशर्त दें परन्तु न्यायादेश की प्रतिक्रिया में बिहार के शिक्षा मंत्री ने उच्चतम न्यायालय में अपील करने का बयान दिया जो हास्यास्पद है।
कहा कि बिहार सरकार शिक्षा व शिक्षकों के प्रति संवेदनशील नहीं है। शिक्षकों से मध्याह्न भोजन, भवन निर्माण, बीएलओ, छात्रवृति व पोशाक राशि वितरण जैसे गैर शिक्षकीय कार्य कराये जाते हैं। वहीं सरकार छात्रों के प्रति भी अन्याय कर रही है। कहा कि शिक्षा सत्र के आठ माह बीत जाने के बाद भी छात्रों को पाठ्य पुस्तक उपलब्ध नहीं कराया गया लेकिन बिना पढ़े मूल्यांकन परीक्षा ली गई जो घोर अन्याय है।
शिक्षक संघ के जिला उपाध्यक्ष रामावतार साह ने कहा कि माननीय उच्च न्यायलय के निर्णय का आदर करते हुए शिक्षकों की समान काम समान वेतन की मांगों को पूरा किया जाये अन्यथा विवश होकर शिक्षक करो या मरो के संकल्प के साथ निर्णायक आंदोलन करने पर बाध्य हो जायेंगे। मौके पर शिक्षक टुनटुन कुमार कामत, बैद्यनाथ गुप्ता, विजय कुमार यादव, बिहारी मंडल, हलधर प्रसाद यादव, जूरी साफी, शिक्षिका रेणु कुमारी, कुमारी माया, मधुरानी कुमारी, मो. इकबाल सहित दर्जनों शिक्षक-शिक्षिकायें उपस्थित थे।
निर्मली (सुपौल) - बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर सोमवार को अनुमंडल क्षेत्र में शिक्षक एकदिवसीय सांकेतिक हड़ताल पर रहे। इस दौरान शिक्षकों ने काला बिल्ला लगाकर विद्यालयीय कार्य करते हुए अपना विरोध प्रदर्शन किया।
इस दौरान प्राथमिक शिक्षक संघ मरौना के अंचल सचिव जगदीश यादव ने कहा कि 26 अक्टूबर 2016 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने समान काम समान वेतनमान का न्यायादेश सरकार को दिया परन्तु सरकार हतप्रभ व गूंगी हो गई। जिसके बाद गत 31 अक्टूबर 2017 को माननीय उच्च न्यायालय पटना ने ऐतिहासिक न्यायादेश देकर बिहार सरकार को स्पष्ट निदेश दिया कि नियमित शिक्षकों के समान नियोजित शिक्षकों को भी वेतनमान एवं सेवाशर्त दें परन्तु बिहार के शिक्षा मंत्री ने बयान दिया कि सरकार उच्चतम न्यायालय में अपील करेगी। कहा कि आज हम सभी शिक्षक काला बिलला लगाकर सांकेतिक हड़ताल पर हैं।
अगर इसके बाद भी सरकार द्वारा सार्थक पहल नहीं की गई तो हमलोग बेमियादी हड़ताल व जेल भरो आंदोलन से भी बाज नहीं आयेंगे। निर्मली नगर स्थित कन्या मध्य विद्यालय परिसर में एकत्रित होकर शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री द्वारा समान काम समान वेतन के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने के बयान की कड़ी निंदा की और विरोध में प्रदर्शन किया।
मौके पर उपस्थित शिक्षक संघ के अनुमंडलीय अध्यक्ष रामकृष्ण ठाकुर ने कहा कि गत 31 अक्टूबर 2017 को माननीय उच्च न्यायालय पटना ने ऐतिहासिक न्यायादेश देकर बिहार सरकार को स्पष्ट निदेश दिया कि नियमित शिक्षकों के समान नियोजित शिक्षकों को भी वेतनमान एवं सेवाशर्त दें परन्तु न्यायादेश की प्रतिक्रिया में बिहार के शिक्षा मंत्री ने उच्चतम न्यायालय में अपील करने का बयान दिया जो हास्यास्पद है।
कहा कि बिहार सरकार शिक्षा व शिक्षकों के प्रति संवेदनशील नहीं है। शिक्षकों से मध्याह्न भोजन, भवन निर्माण, बीएलओ, छात्रवृति व पोशाक राशि वितरण जैसे गैर शिक्षकीय कार्य कराये जाते हैं। वहीं सरकार छात्रों के प्रति भी अन्याय कर रही है। कहा कि शिक्षा सत्र के आठ माह बीत जाने के बाद भी छात्रों को पाठ्य पुस्तक उपलब्ध नहीं कराया गया लेकिन बिना पढ़े मूल्यांकन परीक्षा ली गई जो घोर अन्याय है।
शिक्षक संघ के जिला उपाध्यक्ष रामावतार साह ने कहा कि माननीय उच्च न्यायलय के निर्णय का आदर करते हुए शिक्षकों की समान काम समान वेतन की मांगों को पूरा किया जाये अन्यथा विवश होकर शिक्षक करो या मरो के संकल्प के साथ निर्णायक आंदोलन करने पर बाध्य हो जायेंगे। मौके पर शिक्षक टुनटुन कुमार कामत, बैद्यनाथ गुप्ता, विजय कुमार यादव, बिहारी मंडल, हलधर प्रसाद यादव, जूरी साफी, शिक्षिका रेणु कुमारी, कुमारी माया, मधुरानी कुमारी, मो. इकबाल सहित दर्जनों शिक्षक-शिक्षिकायें उपस्थित थे।
No comments:
Post a Comment