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Thursday, November 16, 2017

इलाहाबाद - हाईकोर्ट का आदेशः इलाहाबाद और वाराणसी यूपी बोर्ड कार्यालय की होगी जांच

रिपोर्ट शिव विशाल पाण्डेय IBN24x7 News

इलाहाबाद - आठ साल तक सही अंकपत्र के लिए भटक रही छात्रा को कोर्ट से न्याय मिला। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने बोर्ड कार्यालयों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हुए जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। सचिव शासन को भेजे गए आदेश में वाराणसी और इलाहाबाद के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड कार्यालयों की कार्यप्रणाली की जांच कर चार सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया गया है।

वाराणसी की वंदना तिवारी की याचिका पर न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल सुनवाई कर रही हैं। याची के अधिवक्ता
आशीष कुमार के अनुसार याची ने कस्तूरबा राजकीय बालिका इंटरमीडिएट कॉलेज देवरिया से वर्ष 2000 में हाई स्कूल की परीक्षा दी थी। एक अगस्त 2000 को अंकपत्र प्राप्त हुआ।

जिसमें होम साइंस के बजाय ड्राइंग विषय दर्ज था। ड्राइंग विषय याची ने नहीं लिया था। याची ने सही अंकपत्र जारी करने की अर्जी दी। सुनवाई न होने पर उपभोक्ता फोरम में केस दर्ज कराया। फोरम ने विद्यालय को सही अंकपत्र जारी करने और हर्जाना देने का आदेश दिया। 27 फरवरी 2009 को बोर्ड ने अंकपत्र तो जारी कर दिया मगर उस पर जन्म तिथि ही दर्ज नहीं थी।

इस पर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर जन्म तिथि के साथ अंकपत्र जारी करने की मांग की गई। कोर्ट ने यूपी बोर्ड से जवाब मांगा। कोर्ट के आदेश के बाद भी वाराणसी क्षेत्रीय कार्यालय में इस पर लापरवाही बरती गई। जवाब न देने पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए परिषद के सचिव को तलब कर लिया तो उन्होंने बताया कि 2009 के फार्मेट में जन्म तिथि का कॉलम नहीं था। इसलिए जन्मतिथि नहीं लिखी गई है।

कोर्ट की फटकार के बाद सही अंकपत्र व प्रमाण पत्र दिया गया। कोर्ट ने इलाहाबाद व वाराणसी  कार्यालयों की कार्यप्रणाली पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि आठ साल तक सही अंकपत्र क्यों नहीं दिया गया, इसका कोई कारण नहीं बताया गया। याचिका की अगली सुनवाई 12 दिसम्बर 2017 को होगी। इस दिन सचिव की रिपोर्ट पर कोर्ट विचार करेगी।

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