रिपोर्ट ibn24x7news
इलाहाबाद : पुरानी कहावत है कि 'राजनीत में न कोई स्थायी दोस्त होता है, न स्थायी दुश्मन'। आज के नेताओं में न नैतिकता आड़े आ रही है, न विचारधारा। जहां तवज्जो मिली उसी का झंडा थाम लिया। कुछ ऐसा ही चरितार्थ हो रहा है नगर निगम चुनाव में। शहर का 'प्रथम नागरिक' यानी महापौर बनने का सपना संजोए दर्जनभर से अधिक नेता टिकट पाने के लिए दूसरे दलों में जुगत भिड़ा रहे हैं, लेकिन अभी तक कहीं से उचित इशारा नहीं मिला है, जिसके चलते कोई
पत्ते नहीं खोल रहा है। अंदर ही अंदर सभी टिकट पाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।
नगर निगम चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही महापौर पद का टिकट पाने के लिए नेताओं ने लखनऊ व दिल्ली में बैठे अपने शुभचिंतकों से संपर्क स्थापित करना शुरू कर दिया है। इलाहाबाद की सीट सामान्य होने के चलते प्रत्याशियों की भीड़ काफी अधिक है। अकेले भाजपा से 51 नेताओं ने महापौर पद का टिकट मांगा है। इसमें से किसी एक को टिकट मिलना है। टिकट किसे मिलना है लगभग वह नाम तय हो चुका है, सिर्फ घोषणा होनी बाकी है। इसका आभास होने पर भाजपा के दर्जनभर नेता सपा, बसपा व कांग्रेस का झंडा थामकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
हर दल के नेताओं से संपर्क करके वह किसी भी हालत में टिकट पाना चाहते हैं, परंतु वहां भी टिकट की कोई गारंटी अभी तक नहीं मिली है। भाजपा के बाद सपा से टिकट के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है। इसमें कुछ खांटी कांग्रेसी नेता भी शामिल हैं। इसमें एक-दो नेता ऐसे हैं जो विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। वह सपा से टिकट पाकर मिनी सदन पहुंचना चाहते हैं। वहीं चिकित्साजगत से जुड़ा एक बड़ा नाम भी सपा आलाकमान के संपर्क में है। कांग्रेस में अभी ज्यादा सक्रियता नजर नहीं आ रही है, परंतु कुछ नेता वहां भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं बसपा ने नगर निगम चुनाव को लेकर अभी कोई पत्ता नहीं खोला है, फिर भी उसके संपर्क में कई बड़े नेता हैं।
इलाहाबाद : पुरानी कहावत है कि 'राजनीत में न कोई स्थायी दोस्त होता है, न स्थायी दुश्मन'। आज के नेताओं में न नैतिकता आड़े आ रही है, न विचारधारा। जहां तवज्जो मिली उसी का झंडा थाम लिया। कुछ ऐसा ही चरितार्थ हो रहा है नगर निगम चुनाव में। शहर का 'प्रथम नागरिक' यानी महापौर बनने का सपना संजोए दर्जनभर से अधिक नेता टिकट पाने के लिए दूसरे दलों में जुगत भिड़ा रहे हैं, लेकिन अभी तक कहीं से उचित इशारा नहीं मिला है, जिसके चलते कोई
पत्ते नहीं खोल रहा है। अंदर ही अंदर सभी टिकट पाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।
नगर निगम चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही महापौर पद का टिकट पाने के लिए नेताओं ने लखनऊ व दिल्ली में बैठे अपने शुभचिंतकों से संपर्क स्थापित करना शुरू कर दिया है। इलाहाबाद की सीट सामान्य होने के चलते प्रत्याशियों की भीड़ काफी अधिक है। अकेले भाजपा से 51 नेताओं ने महापौर पद का टिकट मांगा है। इसमें से किसी एक को टिकट मिलना है। टिकट किसे मिलना है लगभग वह नाम तय हो चुका है, सिर्फ घोषणा होनी बाकी है। इसका आभास होने पर भाजपा के दर्जनभर नेता सपा, बसपा व कांग्रेस का झंडा थामकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
हर दल के नेताओं से संपर्क करके वह किसी भी हालत में टिकट पाना चाहते हैं, परंतु वहां भी टिकट की कोई गारंटी अभी तक नहीं मिली है। भाजपा के बाद सपा से टिकट के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है। इसमें कुछ खांटी कांग्रेसी नेता भी शामिल हैं। इसमें एक-दो नेता ऐसे हैं जो विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। वह सपा से टिकट पाकर मिनी सदन पहुंचना चाहते हैं। वहीं चिकित्साजगत से जुड़ा एक बड़ा नाम भी सपा आलाकमान के संपर्क में है। कांग्रेस में अभी ज्यादा सक्रियता नजर नहीं आ रही है, परंतु कुछ नेता वहां भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं बसपा ने नगर निगम चुनाव को लेकर अभी कोई पत्ता नहीं खोला है, फिर भी उसके संपर्क में कई बड़े नेता हैं।
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