दिवाकर कुमार ibn24x7news बगहा पश्चिमी चंम्पारण
आज बगहा नगर इकाई के नैतिक जागरण मंच "एक स्वैच्छिक संगठन" के सचिव एवं सन - फ्लावर चिल्ड्रेन एकेडमी,पठखौली प्रधानाध्यापक निप्पू कुमार पाठक ने कहा कि गोपाष्टमी पर यह संकल्प हमारा, गोरक्षा हो धर्म हमारा। श्रद्धेय समस्त भारतवासी आज गोपाष्टमी है। इस पुनीत पावन दिन पर आप सभी का अभिनंदन। गोपाष्टमी का अर्थ है:- गो पूजन का आठवां दिन। जिस प्रकार नवरात्रि में अष्टमी को निशा पूजा की जाती है और इस पूजा में धन की प्राप्ति के लिए लक्ष्मी की पूजा की जाती है ।
ठीक उसी प्रकार गोपाष्टमी में गौ माता की विधिवत पूजा की जाती है ।क्योंकि गौमाता को वेद स्वरूपा है माना गया है।
साक्षात भगवान श्रीकृष्ण गो रुप में इस व धरा श्रेष्ठ भारत में विद्यमान है। जिन गायों को चराने के लिए भगवान ने अपना नाम गोपाल स्वीकार किया। उन गायों का भारत के साथ अभिन्न लगाव है। भारत को गायों से अलग करके कदापि नहीं देखा जा सकता। गाय भारतीय संस्कृति की अनूठी पहचान है ।यही कारण है कि भारत देश में गायों के अनंत नाम मिलते हैं अधिकाधिक नाम तो भगवान श्री कृष्ण के नामों से जुड़े हैं जैसे गो धेनु धेनुका गोपा कामधेनु नंदी आदि। इसके अलावे वेद स्वरूपा धेनु जिनके अन्ग -अन्ग मे ईश्वर का वास है तथा जो भगवान की मूर्ति स्वरूपा है ।आज हमारी असावधानी के कारण उपेक्षित है। यह हमारी निर्दयता और निर्लज्जता का साक्षात प्रमाण है।
हमें ध्यान रखना चाहिए कि गाय एक पशु नहीं बल्कि मूर्तिमान कृष्ण है ।शायद आपको याद होगा कि जब भगवान श्री कृष्ण शांतिदूत बनकर हस्तिनापुर पहुंचे थे तो स्वयं महाराज दशरथ ने उन्हें एक गाय देकर उनका मान बढ़ाया था ।यह सम्मान इस बात का द्योतक है यदि हम ईश्वर से पहले गौ माता की पूजा तो संभवत उपेक्षित गायें , जो इधर-उधर कूड़ा कचरे से अपना भोजन प्राप्त करने को मजबूर हैं वह सुरक्षित और संवर्धित हो जाएंगी। गोपाष्टमी के दिन हमें व्रत लेना चाहिए कि गौ रक्षा से बड़ा आर्यों का कोई धर्म नहीं है ।
क्योंकि वह हमें कई प्रकार से लाभ पहुंचाती है शास्त्रों में वर्णन है कि चाहे वह कब्रिस्तान हो या श्मशान घाट यदि एक माह तक उस जगह पर गायों को बांधा जाए और फिर उस स्थान पर घर बनाया जाए तो कोई वास्तु दोष नहीं लगता इसका प्रमाण नए घर बनने पर जब हम वास्तु पूजा कराते हैं ।तब गौ की पूजा करते , देख सकते हैं ।गायों का दूध न केवल मां के दूध के समान पोस्टिक आहार देता है अपितु गोमूत्र , गाय के गोबर और गाय से प्राप्त दूध से तरह-तरह की दवाइयां भी बनाई जाती रही है। अतः आपसे निवेदन है कि गौ रक्षा के लिए आज निम्न संकल्प ले सकते हैं ।
1 . जब भी हम कोई धार्मिक अनुष्ठान करें तो पंचगव्य ग्रहण करने के बाद ही धार्मिक अनुष्ठान करें ।
2 धार्मिक कार्यों में निश्चित तौर पर गाय के घी का दीपक जलाएं
गाय के दूध का प्रयोग करें, पंचामृत बनाएं गाय के बने हाथों का
3 अधिकाधिक मातरम गौ से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थों का प्रयोग करें। गाय के गोबर से बनने वाले खादो को अधिक मात्रा में खरीदें और ज्यादा से ज्यादा दाम पर खरीदे ।इससे गोपालको का मनोबल बढेगा।
आइए एक कदम गौरक्षा की ओर बढ़ा कर अपने देश का मान बढ़ाएं ।अपना मान बढ़ाएं।
तभी गौ रक्षा का संकल्प पूरा होगा। नैतिक जागरण मंच के सदस्य अरुण कुमार सिंह, अरविंद कुमार सिंह, नंदलाल प्रसाद ,मिथिलेश कुमार पांडे ,चुन्नू कुमार पाठक, अनूप कुमार पांडे अभिजीत सिंह संजू पांडे, हृदयानंद दुबे, हरि किशन गुप्ता, टुनटुन प्रसाद गुप्ता, राकेश तिवारी जी ,मनोज ठाकुर, टिंकू गुप्ता अन्य गणमान्य मौजूद थे।
आज बगहा नगर इकाई के नैतिक जागरण मंच "एक स्वैच्छिक संगठन" के सचिव एवं सन - फ्लावर चिल्ड्रेन एकेडमी,पठखौली प्रधानाध्यापक निप्पू कुमार पाठक ने कहा कि गोपाष्टमी पर यह संकल्प हमारा, गोरक्षा हो धर्म हमारा। श्रद्धेय समस्त भारतवासी आज गोपाष्टमी है। इस पुनीत पावन दिन पर आप सभी का अभिनंदन। गोपाष्टमी का अर्थ है:- गो पूजन का आठवां दिन। जिस प्रकार नवरात्रि में अष्टमी को निशा पूजा की जाती है और इस पूजा में धन की प्राप्ति के लिए लक्ष्मी की पूजा की जाती है ।
ठीक उसी प्रकार गोपाष्टमी में गौ माता की विधिवत पूजा की जाती है ।क्योंकि गौमाता को वेद स्वरूपा है माना गया है।
साक्षात भगवान श्रीकृष्ण गो रुप में इस व धरा श्रेष्ठ भारत में विद्यमान है। जिन गायों को चराने के लिए भगवान ने अपना नाम गोपाल स्वीकार किया। उन गायों का भारत के साथ अभिन्न लगाव है। भारत को गायों से अलग करके कदापि नहीं देखा जा सकता। गाय भारतीय संस्कृति की अनूठी पहचान है ।यही कारण है कि भारत देश में गायों के अनंत नाम मिलते हैं अधिकाधिक नाम तो भगवान श्री कृष्ण के नामों से जुड़े हैं जैसे गो धेनु धेनुका गोपा कामधेनु नंदी आदि। इसके अलावे वेद स्वरूपा धेनु जिनके अन्ग -अन्ग मे ईश्वर का वास है तथा जो भगवान की मूर्ति स्वरूपा है ।आज हमारी असावधानी के कारण उपेक्षित है। यह हमारी निर्दयता और निर्लज्जता का साक्षात प्रमाण है।
हमें ध्यान रखना चाहिए कि गाय एक पशु नहीं बल्कि मूर्तिमान कृष्ण है ।शायद आपको याद होगा कि जब भगवान श्री कृष्ण शांतिदूत बनकर हस्तिनापुर पहुंचे थे तो स्वयं महाराज दशरथ ने उन्हें एक गाय देकर उनका मान बढ़ाया था ।यह सम्मान इस बात का द्योतक है यदि हम ईश्वर से पहले गौ माता की पूजा तो संभवत उपेक्षित गायें , जो इधर-उधर कूड़ा कचरे से अपना भोजन प्राप्त करने को मजबूर हैं वह सुरक्षित और संवर्धित हो जाएंगी। गोपाष्टमी के दिन हमें व्रत लेना चाहिए कि गौ रक्षा से बड़ा आर्यों का कोई धर्म नहीं है ।
क्योंकि वह हमें कई प्रकार से लाभ पहुंचाती है शास्त्रों में वर्णन है कि चाहे वह कब्रिस्तान हो या श्मशान घाट यदि एक माह तक उस जगह पर गायों को बांधा जाए और फिर उस स्थान पर घर बनाया जाए तो कोई वास्तु दोष नहीं लगता इसका प्रमाण नए घर बनने पर जब हम वास्तु पूजा कराते हैं ।तब गौ की पूजा करते , देख सकते हैं ।गायों का दूध न केवल मां के दूध के समान पोस्टिक आहार देता है अपितु गोमूत्र , गाय के गोबर और गाय से प्राप्त दूध से तरह-तरह की दवाइयां भी बनाई जाती रही है। अतः आपसे निवेदन है कि गौ रक्षा के लिए आज निम्न संकल्प ले सकते हैं ।
1 . जब भी हम कोई धार्मिक अनुष्ठान करें तो पंचगव्य ग्रहण करने के बाद ही धार्मिक अनुष्ठान करें ।
2 धार्मिक कार्यों में निश्चित तौर पर गाय के घी का दीपक जलाएं
गाय के दूध का प्रयोग करें, पंचामृत बनाएं गाय के बने हाथों का
3 अधिकाधिक मातरम गौ से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थों का प्रयोग करें। गाय के गोबर से बनने वाले खादो को अधिक मात्रा में खरीदें और ज्यादा से ज्यादा दाम पर खरीदे ।इससे गोपालको का मनोबल बढेगा।
आइए एक कदम गौरक्षा की ओर बढ़ा कर अपने देश का मान बढ़ाएं ।अपना मान बढ़ाएं।
तभी गौ रक्षा का संकल्प पूरा होगा। नैतिक जागरण मंच के सदस्य अरुण कुमार सिंह, अरविंद कुमार सिंह, नंदलाल प्रसाद ,मिथिलेश कुमार पांडे ,चुन्नू कुमार पाठक, अनूप कुमार पांडे अभिजीत सिंह संजू पांडे, हृदयानंद दुबे, हरि किशन गुप्ता, टुनटुन प्रसाद गुप्ता, राकेश तिवारी जी ,मनोज ठाकुर, टिंकू गुप्ता अन्य गणमान्य मौजूद थे।
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