देवरिया : मांगने से जहां न मुरादे मिले, वहां गिड़गिड़ाने से क्या फायदा, जिस शहर का हाकिम ही बेदर्द हो, वहां दुखड़ा सुनाने से क्या फायदा। किसी शायर कि ये पंक्तियां क्षेत्र के राजपुर गांव निवासी 35 वर्षीय युवक अशोक साह पुत्र र¨वद्र उर्फ भोला पर सटीक बैठती हैं, जो बिजली की चपेट में आकर घायल हो जाने के बाद तीन वर्षों से ¨जदगी व मौत से जूझ रहा है। उसके गरीब परिजन आर्थिक स्थिति दयनीय होने के कारण इलाज करा पाने में सक्षम नहीं है। वहीं बीमार युवक की पत्नी तथा बच्चों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
अशोक सूरत में रहकर एक धागा मिल में कार्य करता था। बताया जाता है कि तीन साल पहले वह कार्य करते समय बिजली की चपेट में आकर घायल हो गया।5 तभी से उसके हाथ पांव ने कार्य करना बंद कर दिया। कंपनी ने कुछ दिनों तक इलाज कराया उसके बाद अपना हाथ खींच लिया। वहीं गरीब परिजनों ने भी उसका बनारस में इलाज करवाया, लेकिन ज्यादा खर्च लगने से वह भी अशोक को घर लेते आए। स्थिति यह है कि अशोक तीन वर्षों से एक ही चारपाई पर पड़ा हुआ मौत का दिन गिन रहा है। वह चलने-फिरने में असमर्थ है। उसकी पत्नी उसे चम्मच से थोड़ा बहुत खाना खिलाती है। अब उसकी पत्नी व दो मासूम बच्चे छह वर्षीय पुत्र सन्नी व चार वर्षीय पुत्री शालू के सामने रोटी का संकट गहरा गया है। बूढ़े मां-बाप मजदूरी कर परिवार का खर्च चला रहे हैं। गांव निवासी एडवोकेट उपेंद्र प्रसाद, सुनील ¨सह, धर्मेंद्र, रामआधार, अजीत ¨सह, सुबाष यादव आदि ग्रामीणों का कहना है कि वास्तव में अशोक दया का पात्र है, लेकिन अब तक प्रशासन या किसी भी जनप्रतिनिधि व स्वयंसेवी संगठनों ने उसकी मदद नहीं की है। लिहाजा उसे दयालु लोगों के मदद की दरकार है।
रिपोर्ट आलोक यदुवंशी देवरिया
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