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Tuesday, December 10, 2019

फरार विकास सिंह की पूरी कहानी का सच हुआ उजागर, वाह रे पटना पुलिस

 

हम नही सुधरेंगें चाहे कितनी बार लगातार बारम्बार लानत मलानत होती हो या सस्पेंड होना पड़े। यह महज एक कवाहत नही है बल्कि बिहार के खाकीवालो का वो स्याह पक्ष है जिसका विस्फोट पूरे महकमे को न केवल शर्मशाम करता है बल्कि देश भर में हंसी का पात्र बना देता है। खैर,ताजा प्रकरण में पुलिस वालों ने न केवल जमकर ऐय्याशी की, बल्कि नियम कानूनों की धज़्ज़िया उड़ाते हुए एक सजायाफ्त कैदी को कोर्ट में पेशी के नाम पर होटल में “ऐय्याशी” का हर लुफ्त उठाने का सशुल्क मौक़ा दिया। हद तो ये की यह पहली बार नही था जब दिल्ली की तीसहजारी कोर्ट में कुख्यात को पेशी के दौरान गुलछर्रे उड़ाने का मौका दिया गया। पर कहते है न कि पाप का घड़ा फूटता है वही हुआ उम्रकैद का सज़ावार खाना लेने के बहाने निकला तो फिर वो लौटा ही नही। विकास फरार हो गया और नशे में टल्ली ख़ाकीवाले सोते रह गए। सुबह नींद खुली तो कैदी को न देख सभी होश फ़ाख्ता हों गये।।

फिर शुरू हुई साज़िशफेरिया, सच छुपाने की झुठी कहानिया को महकमे को सुनाई गई, लेकिन सच तो सच है…..आइए सुनाते और बताते है परत दर परत पैसे की रेलमपेल के बीच ख़ाकीवाले की नियम कानून की धज़्ज़िया उड़ाने का पूरा सच ।।

5 दिसंबर सम्पूर्णक्रांति से दिल्ली रवाना

खैर,बात बीते 5 दिसम्बर की करते है। बेउर जेल में कैद उम्रकैद की सज़ा काट रहे विकास कुमार सिंह को एक दरोगा और 6 पुलिसवाले अपनी घेराबन्दी में लेकर दिल्ली के तीसहजारी कोर्ट में जज पिकी द्वारा नबीकरीम थाना काण्ड संख्या 31/2007 में जारी 7 दिसम्बर को प्रोडकशन वारेंट के तामिला कराने ख़ातिर सम्पूर्ण क्रांति से रवाना होने ख़ातिर पटना जंक्शन पहुचे। विकास के साथ एक दरोगा समेत सिपाही मिलाकर 6 ख़ाकीवालो का दस्ता तो साथ था ही उसके दो दोस्त सन्नी और मणि भी ट्रेन में सवार हुए। ट्रेन खुलने से पहले एक और शख्स अनिल कुमार सिंह जो उक्त काण्ड में विकास के साथ नामज़द है सम्पूर्णक्रान्ती में सवार हुआ। नियत समय पर ट्रेन दिल्ली ख़ातिर रवाना हुई।।

6 दिसम्बर – दिल्ली के पहाड़गंज का होटल।

पटना पुलिस के दस्ते के साथ उम्रकैद की सज़ा काट रहा विकास सिंह और उसके दोस्तों ने पहाड़गंज के एक होटल Haridev में में डेरा डाल दिया। जबकि ये कानून के खिलाफ है। लेकिन अबतक विकास के पैसें की बदौलत पटना पुलिस का कई दस्ते जब भी पूर्व में भी दिल्ली पेशी पर गया,होटल में रुकते उसके पैसे पर जमकर एय्याशी करते। अमूमन होता ये कि कैदी लेकर गए पुलिसवाले उसके बॉडीगार्डों में तब्दील हो जाते और वो जमकर दिल्ली में अपनी महिला मित्रों के साथ दारूबाजी करते हुए गुलछर्रे उड़ाता और पुलिसवाले सुरा सुंदरी में डूबे रहते। यानी बहती गंगा में जमकर डुबकी लगाते।इसबार भी 6 नवम्बर की सुबह दिल्ली पहुचते ही होटल में चेकिंग करने के बाद फिर वही सिलसिला शुरू हो गया। कमरे बुक किये गए और फिर नहा धोकर शुरू हो गया पार्टी का दौर। उधर अपने दिल्ली पहुचने के बाद पटना जंक्शन से ही मोबाइल नम्बर 7033*222*0 के जरिए विकास सिंह अपने महिला मित्रों और दिल्ली के अपने सम्पर्को से जुड़ गया था। ट्रेन में वो लगातार मोबाइल पर बतिआते रहा था। यानी पुुुलिस वालो की मौजूदगी में एक उम्रकैद का कैदी मोबाइल का धड़ल्ले से खुलेआम इस्तेमाल करता रहा और ….सुन लीजिये विकास की मोबाइल इस्तेमाल करने की ताक़ीद पुलिस वाले कर रहे है।।

खलनायक और खाकीवालो की दोस्ती

दरअसल खाकीवालो की खलनायक से दोस्ती का ही नतीजा रहा कि नई दिल्ली स्टेशन से सटे पहाड़गंज के होटल में जमने के बाद कुख्यात ने अपने पैसे की पोटली खोल दी। पार्टी शुरू हो गई और दारू की गंगा बहने लगी सबने डुबकी लगानी शुरू कर दी। लेकिन नशे में टल्ली पुलिसवाले और विकास के दोस्त होटल में पल पल बदले हालात को समझ नही सके। शातिर ने जाल बुनने शुरू कर दिए थे वो खुद ही होटल के कमरे में तमाम व्यवस्था करवाने लगा। खुद ही होटल से निकलकर पानी सोडा चखना लाने लगा। विकास स।बिना किसी पुलिस वाले के अकेले जाता और घटा समान लेकर तुरंत आ जाता में टल्ली पुलिस वाले और कुख्यात के दोस्तो ने अबतक यानि रात साढ़े नौ बजे तक 14 बोतल शराब खत्म कर दिया। रात गहरी होती जा रही थी। नशे में सभी अस्त पस्त हो गए। लेकिन शातिर विकास एकदम ठीकठाक था दरअसल, यही तो शातिर चाहता भी था। अचानक वो उठा और टल्ली पुलिसवालों से पूछा खाना वगैरह क्या खाइयेगा, फिर वो होटल के अपने कमरे में गया और पैसे जेब मे रखकर ट्रैकसूट पहने ही होटल से निकल गया। इधर, नशे में धुत्त पुलिस वाले और विकास के दोनो दोस्त अपने अपने कमरे में धुत्त होकर सो गए। पूरी रात वो बेसुध रहे।।


और फिर 7 दिसम्बर की वो बदहवाश सुबह

शनिवार की सुबह तजरीबन 8 बजे जैसा कि तय था तीसहजारी कोर्ट में विकास को प्रोड्यूस करने ख़ातिर पुलिस दस्ते के एक सदस्य की आँखें खुली तो वो विकास के कमरे की ओर चल पड़ा ताकि उसे जगाकर तैयार होने को बोल सके। लेकिन कमरे में विकास तो था ही नही, इधर उधर ढूढने के बाद पुलिसवाले तुरंत इसकी जानकारी दरोगा समेत अन्य पुलिसवालो को दी। सभी विकास के दोस्तो के कमरे पहुचे तो वो वहां भी नही था, सन्नी और मणि को जगाकर पूछा वो भी भौचक्क रह गए। फिर ताबड़तोड विकास के नंबर पर फोन किया गया पर मोबाइल आउट ऑफ रिच और बंद होने की पुष्टी होने लगी। अब पुलिसवालों के चेहरे पर बेचैनी तारी होने लगी। आननफानन में उंक्त मामले में अभियुक्त अनिल सिंह नामक विकास के मियादी को फोन किया गया। उसे भी नही मालूम था कि विकास कहा है ? मोबाइल क्यो बन्द है ? शनिवार यानी 7 दिसंबर को विकास की कोर्ट में पेशी होनी थी जो फरारी के कारण नहीं हो सकी। पुलिस टीम खाली हाथ पटना लौट आई है।।

कौन है उम्रकैद की सज़ावार विकास सिंह ?

कुख्यात अपराधी विकास सिंह राजधानी पटना के गर्दनीबाग थाना क्षेत्र के रोड नंबर 6 के प्रिंस कालोनी का रहने वाला है। उसके खिलाफ राजधानी के गर्दनीबाग,बेउर समेत विभिन्न थानों में आधा दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। वर्ष 2007 में गर्दनीबाग थाना क्षेत्र में जज साधना श्रीवास्तव को आवास में कत्ल करने के गुनाह में पिछले 12 वर्षों से बेउर जेल में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहा है। विकास पर नई दिल्ली के नबीकरीम थाना में 31/ 2007 में दर्ज एक आपराधिक मामले का भी मुकदमा तीसहजारी कोर्ट में चल रहा है। इसी मामले 7 दिसम्बर को जज पिंकी के समक्ष उपस्थित कराने ख़ातिर विकास को पुलिस सुरक्षा में भेजा गया था।।

हलकान पुलिसकर्मी और फरार विकास की

इधर,तय समय पर तीसहजारी कोर्ट में पेशी का वक्त नज़दीक आता जा रहा था, उधर विकास का पता नही चल रहा था। अब पुलिस दस्ता ने विकास के मियादी और पुराने दोस्त अनिल सिंह से विकास को ढूढने की गुहार लगाई। इधर, पुलिस के साथ होटल में मौजूद विकास के दोस्तों सन्नी और मणि पर पुलिस वालों ने दबाव बनाना शुरू कर दिया था। सन्नी,मणि और अनिल विकास के पूरे दोस्त है दिल्ली में उसकी अय्याशी में शामिल रहे है उसकी एक माशूका रिया और मुनिरका में विकास कम्पर्क वाली धंधेबाज महिला को जानते है। उससे संपर्क किया तो पता चला कि होटल से निकलने के बाद तकरीबन ढाई बजे ऑटो से पहुचा था, फिर सुबह 9 बजे के करीब निकल गया था।

 

रिपोर्ट कुंदन कुणाल ibn24x7news पटना

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