गाजीपुर: जिला मुख्यालय के गंगा ब्रिज इलाके में बनाया गया अस्पताल लोगो को जिन्दगी देने के बजाय दर्द और मौत की तरफ ढकेल रहा है। अस्पताल प्रशासन को न तो सरकार व व्यवस्था का खौफ है न ही आम गरीबो की चिन्ता। मीडिया को भी धता बताने वाला अस्पताल प्रशासन आये दिन अवैध वसूली को लेकर चर्चा में रहता हैं। मौजूदा मामले की शिकायत मुख्य चिकित्सा अधिकारी व जिलाधिकारी से की गयी है। अस्पताल के कारिन्दे मामले को रफा दफा करने के लिये एड़ी चोटी का जोर लगा रहे है। यहॅंा तक कि मीडिया को भी गुमराह किया जा रहा है।
बताते चले कि इस अस्पताल में इलाज कराकर वापस जाने वाले 80 फीसदी मरीजों का मर्ज या तो यथावत बना रहता है या तो उनको दूसरे अस्पतालों की खाक छाननी पड़ती है। यहॅा सेवा तब तक मिलती है जबतक मरीज अस्पताल की तयशुदा रकम काउन्टर पर न जमा कर दें। इसके बाद यहॅा मरीजों का कोई पुरसा हाल नही है। चर्चा तो यह है कि प्रबन्धक ने अपने ही विद्यालयों व मेडिकल कालेजों से डिग्री देकर अपने परिवार के सदस्यों व रिश्तेदारों को चिकित्सक बना दिया हैं। जो वरिष्ठ चिकित्सक बन बैठे है और लम्बे समय से मरीजों का शोषण कर लाखों की काली कमाई को आगे बढ़ा रहे हैं।
गालब्लेडर में आपरेशन के बाद छोड़ दी गयी 29 एमएम की पथरी
नोनहरा थाना क्षेत्र के रहने वाले बवाड़े गांव निवासी इन्द्रजीत यादव अपनी माॅ के गालब्लेडर में मौजूद पथरी का आपरेशन यहॅा कराया। लापरवाह चिकित्सकों ने तयशुदा रकम लेने के बाद मरीज की छुटटी कर दी और गालब्डेडर में 29 एमएम की पथरी छोड दिया। पीड़िता मौजूदा समय में दूसरे अस्पताल में भर्ती है और दूसरे आपरेशन में 29एमएम की पथरी बाहर आयी है। इसी तरह दिलदारनगर के रकसहॅा निवासी शमीम ने अपनी पत्नी के इसी तरह के आपरेशन के बाद चालीस हजार रूपये अस्पताल में जमा कराया। छुटटी लेने के बाद पत्नी तबीयत बिगड़ने पर उसे वाराणसी के अस्पताल मंे दूसरी बार आपरेशन कराना पड़ा। दोनो लोगो का कहना है कि शम्मे हुसैनी का अस्पताल प्रबन्धक उनकी बात सुनने को तैयार नही है। लेहाजा उनको हजारों का चुना लगा हैं।
चैकन्ने कारिन्दे हर मामले को रफा दफा करने का करते है प्रयास
यहॅा तैनात वरिष्ठ चिकित्सक से बात करने पर उन्होनें बताया कि आपरेशन में आमतौर पर पथरी छुट जाती है। इससे साफ हो जाता है कि यहॅा मरीजों को सिर्फ धन वसूली के लिये भर्ती किया जाता है उनका रोग ठीक करना तो दूर इस बारे में गलत अफवाह फैलाना भी यहॅा के चिकित्सकों की नियति बन गया है। शहर के इमामबाड़े इलाके में रहने वाली नसीर गोराबाजार के रामजन्म यादव व रेलवे स्टेशन इलाके के परमहंस राय भी इसी अस्पताल में अपने परिजनों को लेकर अलग-अलग आपरेशन कराये। इनसे वसूली भी की गयी लेकिन मर्ज यथावत रहा। लोगो को बाद में दोहरा खर्च कर मरीज की जान बचानी पड़ी। एक माह पूर्व कागजातों में हेर फेर व लाखों के गोलमाल के आरोप में दिल्ली से आयी टीम ने अस्पताल में छापा मारा था लेकिन प्रबन्धक के कारिन्दों ने मामला रफा दफा करा दिया।
डी0एम0 करा रहे जाॅंच प्रबन्ध तंत्र अब भी कर रहा है उल्टी बात
इन्द्रजीत के मामले में शिकायत डी0एम0 ओपी आर्या से की गयी है। इसकी रिपोर्ट उन्होनें सी0एम0ओ0 से मांगी है। अस्पताल प्रबन्धन से सम्पर्क करना आम लोगो के बूते की बात नही है। अस्पताल को अगल बगल घूमने वाले कारिन्दे खुद को मालिक बताते है और आने वाले लोगों को बेवकूफ बनाते रहते है। इस मामले में जब मीडिया के लोगो ने काफी प्रयास के बाद यहॅा प्रबन्ध तंत्र में मौजूद डाक्टर शादाब से सम्पर्क से साधा तो उन्होनें इस मामले को बेबुनियाद बताया और यह भी बताया कि गालब्लेडर के आपरेशन में पथरी पूरी तरह से साफ नही होती कुछ हिस्सा बच जाता हैं। इस बात से यह साफ हो जाता है कि यहॅा का प्रबन्ध तंत्र दोबारा आपरेशन में निकली 26एमएम की पथरी को भी पचा जाने के प्रयास में है लेकिन अपने चिकित्सकों की गलती मानने को तैयार नही है।
रिपोर्ट राकेश पाण्डेय ibn24x7news ग़ाज़ीपुर
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