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Sunday, November 5, 2017

दिवाकर पश्चिम चम्पारण नरईपुर(बिहार ) - रामायण का अनवरत पाठ ही हमें पश्चिमी सभ्यता रुपी राक्षसी से बचा सकता है

बगहा पश्चिमी चंपारण संवाददाता दिवाकर कुमार ibn24x7news

बगहा प.च हम सब भारतवासी सचमुच श्रेष्ठ हैं कि हम मर्यादा पुरुषोत्तम राम के राज्य में पैदा हुए हैं । जिनका पूरा जीवन हमें अपने हित का त्याग कर परिवार हित, समाज हित, राष्ट्रहित मे लगाने की प्रेरणा देता है । जी हां यह कथन चित्रकूट से पधारे संत श्री यमुना दास जी का है जो  लगातार विगत 7 दिनों से राम कथा का वाचन बबुई  टोला बगहा -1 के फिल्ड मे कह रहे थे। आज कथा का विश्राम दिवस था। श्री यमुना यमुना दास जी ने इस बात पर जोर दिया कि अगर सर्वोत्तम समाज का निर्माण करना है तो हर घर में राम कथा जरुर होना चाहिए ।

उन्होंने आज माता- पिता के व्यवहार पर चिंता व्यक्त की और कहा कि बच्चों को बिगाड़ने में माता-पिता का ही
सर्वाधिक हाथ है क्योंकि आज के माता पिता अपने बेटे को केवल धनवान बनना चाहते हैं चरित्रवान नहीं और हमें जानना चाहिए कि जो चरित्रवान है वह संसार का सबसे धनी  व्यक्ति है साथ ही उन्होंने बताया बताया कि जो माता पिता अपनी बेटे- बेटी को चरित्रवान बना देते हैं उनका जीवन सभी सुखों से भर जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें केवल लक्ष्मी की पूजा नहीं बल्कि यदि धन चाहिए तो लक्ष्मी- नारायण की पूजा करनी चाहिए। जो लोग केवल धन की इच्छा से लक्ष्मी की पूजा करते हैं उनका जीवन खुशियों से नहीं कांटों से भर जाता है।

राम वास्तव में हमारे पथ प्रदर्शक हैं ।हमें मंथरा जैसे लोगों से बचने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि त्रेता युग में  केवल 1 मंथरा थी ।पर वर्तमान समय मे  हर घर में मंथरा है जो हमारे मन को मथकर  केवल बुराइयों की ओर अग्रसर करती है। जिससे हमारा घर ,राष्ट्र ,समाज आज टूट के कगार पर है । उन्होंने यह भी कहा कि भरत जैसा संत इस भारत में दूसरा और कोई नहीं हुआ। कथा आयोजक रामेश्वर प्रसाद और भोला मिश्र की  साधु स्वभाव का  भी  सराहना  संत यमुना दास ने किया ।

कथा के विश्राम के समय रामायण की भव्य आरती हुई इस अवसर पर पंडित दिनेश भ्रमण ,नैतिक जागरण मंच के अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह समाजसेवी अपर्णा सिंह बहुरानी आदि सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। हजारों की भीड़ ने राम कथा का श्रवण कर अपने जीवन को धंय किया । वास्तव में जब तक इस पृथ्वी पर हिमालय,पर्वत ,समुंद्र ,नद और नदियां रहेंगे तब तक रामकथा की  अविरल गंगा भारतवर्ष में बहती रहेगी, और हम भारतीय उसका श्रवण कर ,अपने जीवन को धन्य करते रहेंगे। धन्य है राम का चरित्र धन्य है भारत भूमि और धन्य हैं हम भारतीय जहां नित जय सियाराम की गूंज मंदिरों और संतों के श्रीमुख से निकलती रहती है और हमारे कानों तक पहुंचती है।

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