इंदौर। मप्र के चर्चित हनीट्रैप केस में इंदौर हाई कोर्ट ने निर्देशित किया है कि अब इस केस की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी व केस के OIC (ऑफिसर इन चार्ज) में हाई कोर्ट की अनुमति बिना कोई बदलाव नही होगा। इसी के साथ कोर्ट ने केस में जुटाए गए इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस (साक्ष्यों) की जांच हैदराबाद की फॉरेंसिक लेब में कराने के निर्देश भी दिए है।
जस्टिस एस सी शर्मा एवं जस्टिस शेलेन्द्र शुक्ला की डिवीजन बैंच ने उक्त निर्देश दिए। आज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओ की ओर से सीनियर एडवोकेट एके चितले, मनोहर दलाल, निधि वोहरा, लोकेंद्र जोशी के साथ शासन की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता आरएस छाबड़ा, इस केस में OIC बनाये गए एसपी अवधेश गोस्वामी उपस्थित रहे।
कोर्ट ने केस की गम्भीरता को देखते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि केस के OIC एसपी अवधेश गोस्वामी को बिना कोर्ट की अनुमति ना तो हटाया जाए ना ही इंदौर से अन्यत्र पोस्टिंग की जाए।
इसी तरह कोर्ट की अनुमति के बिना एसआईटी में भी किसी तरह के बदलाव करने से मना कर दिया। इसी के साथ OIC को निर्देशित किया कि वे अपनी निगरानी में केस में जुटाए गए इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस की जांच हैदराबाद की फॉरेंसिक लेब से कराएं।
कोर्ट ने निर्देश के बावजूद एसआईटी में बदलाव व अन्य बिंदुओं पर मांगी गई जानकारी पूरी तरह उपलब्ध नही कराने पर 15 दिन का समय देते हुए निर्देशित किया कि केस से सम्बंधित सभी तथ्य व स्टेटस रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में पेश की जाए। अगली सुनवाई 2 दिसम्बर को होगी।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने सबसे पहले एसआईटी बनाई तो उसका प्रमुख आईपीएस डी. श्रीनिवास वर्मा को बनाया था, लेकिन उन्होंने खुद ही इस पद को छोड़ दिया था। इसके बाद डीजीपी ने सीनियर आईपीएस संजीव शमी को चीफ नियुक्त किया था। दो दिन बाद ही सीनियर आईपीएस राजेंद्र कुमार को यह जिम्मेदारी सौंपी गई।
इस पर अलग अलग जनहित याचिकाओं के माध्यम से इस केस की जांच हाई कोर्ट की मोनिटरिंग में किसी निष्पक्ष एजेंसी से कराने की मांग की गई हैं।
यह है मामला
इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह की 3 करोड़ रुपए मांगने की शिकायत के बाद भोपाल और इंदौर पुलिस ने कार्रवाई कर ब्लैकमेलिंग करने के आरोप में श्वेता स्वप्निल जैन, श्वेता विजय जैन, आरती दयाल, बरखा सोनी और मोनिका यादव को गिरफ्तार किया था।
आरोप है कि यह महिलाएं अफसरों और नेताओं के वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करती थीं। इस हाईप्रोफाइल मामले में भाजपा और कांग्रेस से जुड़े अनेक नेता और नौकरशाहों के फंसे होने की बात कही जा रही है।
रिपोर्ट कंवलजीत सिंह ibn24x7news इंदौर
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